भाद्रपद अमावस्या महत्व, पितृ दोष से होने वाली समस्याएं, पितृ दोष से मुक्ति

 भाद्रपद अमावस्या 2020: इस दिन पितरों के तर्पण से पितृदोष से मुक्ति मिलती है



भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को भादप्रद अमावस्या या पिथौरी अमावस्या कहा जाता है। कृष्ण पक्ष में पड़ने के कारण इस अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है। इस अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुशा का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुशाग्रहनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। 



पितृ दोष से होने वाली समस्याएं
जिन लोगों को पितृ दोष लगता है। उनके घर में कोई मांगलिक कार्य नहीं हो पाता है। संतान के विकास में बाधा आती है। साथ ही घर में क्लेश की स्थिति बनी हुई है। संतान उत्पत्ति में रुकावट होती है।कार्य क्षेत्र में रुकावटें आने लगती हैं। व्यापार, नौकरी आदि में उन्नति नहीं हो पाती है। इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए अमावस्या का दिन सर्वोत्तम माना जाता है। 


अमावस्या का महत्व 
अमावस्या को पितरों का तर्पण करने से घर में सुख-शांति आती हैं। यह अमावस्या कृष्ण जी को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने का भी प्रावधान है। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन दान करने का भी बहुत महत्व माना गया है। गरीबों को दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। 
 


भादप्रद अमावस्या के दिन किसी नदी के तट पर जाकर पितृ तर्पण करना चाहिए। उसके बाद गरीबों को भोजन करवाना चाहिए, और दान करना चाहिए। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। नौकरी और कार्य क्षेत्र में उन्नति होती है। संतान सुख प्राप्त होता है। घर और परिवार के सदस्यों की सेहत सही रहती है मान-सम्मान में वृद्धि होती है। 

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