विश्व के महान विद्वानों की नजर में हमारी श्रीमद्भागवद गीता
विश्व के महान विद्वानों की नजर में हमारी श्रीमद्भागवद गीता
महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है। श्री कृष्ण कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था।
सम्पूर्ण गीता का सार है 'बुद्धि को हमेशा सूक्ष्म करते हुए महाबुद्धि आत्मा में लगाए रखो और संसार के कर्म अपने स्वभाव के अनुसार सरल रूप से करते रहो।'
श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक विद्वानों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और वह भी गीता के ज्ञान को सर्वोपरि मानते हैं।
१. अल्बर्ट आइन्स्टाइन
'जब मैंने गीता पढ़ी तब मैनें विचार किया कि कैसे ईश्वर ने इस ब्रह्माण्ड कि रचना की है, तो मुझे बाकी सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हुआ।'
२. अल्बर्ट श्वाइत्जर
'श्रीमद्भगवद्गीता में मानव की आत्मा का गहन प्रभाव है, जो इसके कार्यों में झलकता है।'
३. अल्ड्स हक्सले
'श्रीमद्भगवद्गीता ने सम्रृद्ध आध्यात्मिक विकास का सबसे सुव्यवस्थित बयान दिया है। यह आज तक के शाश्वत दर्शन का सबसे स्पष्ट और बोधगम्य सार है, इसलिए इसका मूल्य केवल भारत के लिए नही, वरन संपूर्ण मानवता के लिए है।'
४. हेनरी डी थोरो
'हर सुबह मैं अपने ह्रदय और मस्तिष्क को श्रीमद्भगवद्गीता के उस अद्भुत और देवी दर्शन से स्नान कराता हूं जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और इसका साहित्य बहुत छोटा और तुच्छ जान पड़ता है।'
५. थॉमस मर्टन
'श्रीमद्भगवद्गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है।'
६. डॉ. गेद्दीज मैकग्रेगर
'पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उदहृत नहीं होता जितना कि श्रीमद्भगवद्गीता, क्योंकि यही सर्वाधिक प्रिय ग्रंथ है।'
७. हर्मन हेस
'भगवत गीता का अनूठापन जीवन के विवेक की उस सचमुच सुंदर अभिव्यक्ति में है, जिससे दर्शन प्रस्फुटित होकर धर्म में बदल जाता है।'
८. रौल्फ वाल्डो इमर्सन
'मैं श्रीमद्भगवद्गीता का आभारी हूं। मेरे लिए यह सभी पुस्तकों में प्रथम थी, जिसमे कुछ भी छोटा या अनुपयुक्त नहीं किंतु विशाल, शांत, सुसंगत, एक प्राचीन मेधा की आवाज जिसने एक-दूसरे युग और वातावरण में विचार किया था और इस प्रकार उन्हीं प्रश्नों को तय किया था, जो हमें उलझाते हैं।'
महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता का सन्देश अर्जुन को सुनाया था। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है। श्री कृष्ण कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था।
सम्पूर्ण गीता का सार है 'बुद्धि को हमेशा सूक्ष्म करते हुए महाबुद्धि आत्मा में लगाए रखो और संसार के कर्म अपने स्वभाव के अनुसार सरल रूप से करते रहो।'
श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक विद्वानों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और वह भी गीता के ज्ञान को सर्वोपरि मानते हैं।
१. अल्बर्ट आइन्स्टाइन
'जब मैंने गीता पढ़ी तब मैनें विचार किया कि कैसे ईश्वर ने इस ब्रह्माण्ड कि रचना की है, तो मुझे बाकी सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हुआ।'
२. अल्बर्ट श्वाइत्जर
'श्रीमद्भगवद्गीता में मानव की आत्मा का गहन प्रभाव है, जो इसके कार्यों में झलकता है।'
३. अल्ड्स हक्सले
'श्रीमद्भगवद्गीता ने सम्रृद्ध आध्यात्मिक विकास का सबसे सुव्यवस्थित बयान दिया है। यह आज तक के शाश्वत दर्शन का सबसे स्पष्ट और बोधगम्य सार है, इसलिए इसका मूल्य केवल भारत के लिए नही, वरन संपूर्ण मानवता के लिए है।'
४. हेनरी डी थोरो
'हर सुबह मैं अपने ह्रदय और मस्तिष्क को श्रीमद्भगवद्गीता के उस अद्भुत और देवी दर्शन से स्नान कराता हूं जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और इसका साहित्य बहुत छोटा और तुच्छ जान पड़ता है।'
५. थॉमस मर्टन
'श्रीमद्भगवद्गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है।'
६. डॉ. गेद्दीज मैकग्रेगर
'पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उदहृत नहीं होता जितना कि श्रीमद्भगवद्गीता, क्योंकि यही सर्वाधिक प्रिय ग्रंथ है।'
७. हर्मन हेस
'भगवत गीता का अनूठापन जीवन के विवेक की उस सचमुच सुंदर अभिव्यक्ति में है, जिससे दर्शन प्रस्फुटित होकर धर्म में बदल जाता है।'
८. रौल्फ वाल्डो इमर्सन
'मैं श्रीमद्भगवद्गीता का आभारी हूं। मेरे लिए यह सभी पुस्तकों में प्रथम थी, जिसमे कुछ भी छोटा या अनुपयुक्त नहीं किंतु विशाल, शांत, सुसंगत, एक प्राचीन मेधा की आवाज जिसने एक-दूसरे युग और वातावरण में विचार किया था और इस प्रकार उन्हीं प्रश्नों को तय किया था, जो हमें उलझाते हैं।'
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