Holi 2019 कब है और क्यों मनाई जाती हैं होली
होली2019 और होलाष्टक कब से है||क्यों मनाई जाती हैं होली क्या कथा(story) है होली की...
प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी। हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया। तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा ।
Holi 2019: फाल्गुन का महीना शुरू हो चुका है। ऐसे में हिंदुओं का लोकप्रिय त्योहार होली अब काफी करीब है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इस बार होलिका दहन 20 मार्च बुधवार और बड़ी होली 21 मार्च को मनाई जाएगी।
वहीं इससे 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं, जिसमें हिंदू धर्म के अनुसार कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिये। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक भी खत्म हो जाता है। इस साल होली पर ग्रह-नक्षत्र बदल रहे हैं इसलिए यह त्योहार बेहद खास बन जाता है। होलिका दहन 20 मार्च को है। होली के साथ साथ होलिका दहन का भी शुभ मुहूर्त भी होता है। आपको बता दें कि होलिका मनाने के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। इस शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
होली क्यों मनाई जाती है - प्रह्लाद और होलिका की कहानी
होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा कही गई है जैसे, हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है। प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था। उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके।
होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा कही गई है जैसे, हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है। प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था। उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके।
वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया। उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद जैसा भक्त पैदा हुआ। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी। हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना। प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया।
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प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी। हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया। तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा ।
धन्यवाद🙏🙏
जय माता दी।।
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