शिव परिवार का महत्व.. कैसे सिखाते है ये हमें परिवार में रहना

Shiv परिवार का क्या महत्व है



दाम्पत्य जीवन के लिए शिव परिवार, एक आधुनिक परिवार को दर्शाता है। शिव परिवार में गणेश, कार्तिकेय, ज्योति के साथ भवानी शंकर दिखाई देते है । इस परिवार में उनके वाहन भी सम्मिलित है । यह परिवार एक साधारण परिवार जैसा दिखता है, पर यह उनसे कही अधिक प्रसंगों को सरल ढंग से समझाता है ।
इस परिवार के मुखिया है शिव और पार्वती । शुरू करते है गणेश जी से, गणपति गजमुखी है, जो की विघ्नों का अंत करते है और ये प्रथम पूज्य देव बुद्धि देव भी कहे जाते है । शक्ति की गोद में ये शोभा पाते है । इनके शिव परिवार में होने से ये सन्दर्भ मिलता है की प्राणी के दुःख को दूर करने की चाबी आपके परिवार में ही निमित्त है, उस घर में कभी कोई विघ्न नहीं आता जिसे अपने परिवार पर भरोसा हो, उसे मालूम होता है की मेरी माँ, पुत्र, पिता, बहिन, भाई कही न कहीं से विघ्न का रास्ता खोज निकालेंगे ।
भगवन शिवकार्तिकेय परिश्रम के देवता है, उनका शिव परिवार 
में होना कर्म को प्रभुता देता है । परिवार के हर एक व्यक्ति को अपने कर्म का पूरा बोध होना चाहिए । इनके परिवार सहित पूजा होने से नौकरी, पढ़ाई आदि में दुविधा नहीं आती ।
ज्योति, भगवन शिव की पुत्री हालाँकि शिव परिवार में नहीं दिखाई पड़ती पर यह स्वरुप सदैव निर्गुण रूप में हर घर में ज्योति के रूप में विद्यमान रहती है । पुत्री साक्षात् माता पिता के संस्कारो का दर्पण होता है, उसे विद्या, पोषण और प्रेम से पोषित करना चाहिए ।  वो दूसरे घर जा कर अपने माँ पिता द्वारा दिए इन्ही सब तत्वों का प्रदर्शन करती है । शिव परिवार के सन्मुख ज्योति लगने से सर्व कार्य सीधी का फल मिलता है ।
भगवान शिव का परिवार में होना परिवार के पांच तत्वों को दर्शाता है । शिव अर्थात मंगल और वो इस परिवार में पिता स्वरुप में है । इस लिए पिता को कर्ता दर्शाया है, बच्चों(कर्म) की जरूरतों को पूरा करने हेतु पुरुष को बल, धन सम्पति, निरोग्य रहना चाहिए उसे योग, भोग, कार्य और प्राणायाम कर्म का पालन कर घर को पूर्ण पुष्ट रखना चाहिए, शिव की परिवार सहित भक्ति करने से बल और धन की कामना पूर्ण होती है । साथ ही वह व्यक्ति निरोगी भी रहता है।  
अंत में परिवार की मूल, अर्थात माँ यानि की भगवती पार्वती । कहा जाता है,  एक स्त्री घर बना भी सकती है और पलक झपकते नाश भी कर सकती है । माँ अम्बिका का यह स्वरुप भक्ति, शक्ति, धैर्य, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है। माँ को शक्ति का स्वरुप माना है, माँ के सेहत मंद, ज्ञानी, शक्तिपूर्ण, धैर्यवान, दयावान होने से घर में सात्विकता का वास होता है । माँ पार्वती, आधुनिक महिला का दर्पण है जो सिद्ध करता है की स्त्री को पढ़ा लिखा होने के साथ साथ आर्थिक रूप से आत्म निर्भर भी होना चाहिए । माँ की पूजा शिव परिवार में धैर्य और सहनशक्ति को प्रदान करता है ।
शिव परिवार में पशु : - इस परिवार में मूषक, सर्प, मयूर, बैल (नंदी) और सिंह होता है । असलियत में मूषक प्रतीक है फुर्ती का, सर्प प्रतीक है अवसर का, मयूर है सौंदर्य का, बैल है सादगी का और सिंह है सहस और बल का।
इन सभी की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न है, जैसे की मूषक का भक्षण करता है सर्प, सर्प का भक्षण करता है मयूर और बैल का शिकार करता है सिंह । इन सभी का एक चित्र में होना दो बातें समझाता है । पहला ये बेशक एक घर में अलग प्रकृति के लोग हो सकते है पर सबको एक सत्य धर्म का बोध सदा रहना चाहिए और उसे बरकरार rakhne के लिए घर में अनुसाशन जरूर होना चाहिए । दूसरा ये की महाप्रकृति का निर्माण, हर एक की अपनी प्रकृति से होता है, अगर हम अपनी प्रकृति को स्वच्छ रखेंगे तो महाप्रकृति भी संतुलित रहेगी । पढ़ो को काटना, पशुयों को मारना, गन्दगी फैलाना विनाश को आमंत्रित देगा । इस से माँ भगवती पार्वती जो की परम प्रकृति है, उसे काली का स्वररूप धारण करने में अधिक देरी नहीं लगेगी ।
सभी भक्तो को शिवरात्रि की ढेरो बधाई

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