अष्टदल कमल का महत्व RobiNeetu

 अष्टदल कमल को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह साक्षात महालक्ष्मी का प्रतीक है। तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार अष्टदल कमल में मां लक्ष्मी अपने आठ स्वरूपों में विराजमान रहती है। इसलिए जहां भी अष्टदल कमल होता है वहां सुख, संपन्न्ता, पैसा, वैभव, संपत्ति स्वत: खिंची चली आती है। अष्टदल कमल देवी लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण में स्वयं मां लक्ष्मी ने कहा है कि इस कमल में मैं स्वयं अपने जीवंत स्वरूप में विद्यमान हूं। महालक्ष्मी से जुड़े जितने भी यंत्र प्राप्त होते हैं उनका मूल आधार अष्टदल कमल ही है। इसकी पूजा करने से श्रीसूक्त और कनकधारा स्तोत्र के लाखों पाठ करने के समान फल मिलता है।


आइए जानते हैं अष्टदल कमल से जुड़ी कुछ बातें जिन्हें अपनाकर आप भी अपने जीवन को सुखी, समृद्धिशाली बना सकते हैं...


किस दिशा में रखें अष्टदल कमल

अष्टदल कमल कई प्रकार के पदार्थों के बने हुए बाजारों में मिलते हैं। इनमें से आप जिस धातु का चाहे लगा सकते हैं, क्योंकि इसका हर स्वरूप लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला होता है। सबसे अच्छा अष्टदल कमल सोना, चांदी, अष्टधातु और स्फटिक का माना गया है। अष्टदल कमल को अपने घर, दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान में ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में रखा जाता है। यह देव स्थान होता है इसलिए यहां अष्टदल कमल रखने से इसका पूर्ण शुभ प्रभाव प्राप्त होता है। वैसे तो अष्टदल कमल अपने आप में लक्ष्मी का स्वरूप है, लेकिन इस पर यदि मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करेंगे तो अधिक लाभदायक होता है।

अष्टदल कमल योग

अष्टदल

  कमल योग के आठ अंगों को जीवन में उतारने में सहायक होता है इसलिए जो लोग नियमित योगाभ्यास करते हैं उन्हें अपने अभ्यास कक्ष में अष्टदल कमल का बड़ा सा पोस्टर अवश्य लगाना चाहिए और उसी के समक्ष योगासनों का अभ्यास करें। योग कक्ष में अष्टदल कमल के मध्य में ऊं लिखकर उस पर त्राटक करने से एकाग्रता बढ़ती है और तीसरा नेत्र जागृत करने में मदद मिलती है।


शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोग और विद्यार्थियों को नियमित रूप से अष्टदल कमल पर ध्यान लगाना चाहिए। इससे उनकी बुद्धि तेज होगी। ज्ञान का संचार होगा और वे शिक्षा के साथ जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफल होंगे।


जो लोग धन-संपत्ति, वैभव, भौतिक सुख-सुविधाएं पाना चाहते हैं वे स्फटिक के अष्टदल कमल को एक कांच के पात्र में रखकर ईशान कोण में रखें। इसमें एक गुलाब का फूल डालें। हर रोग पानी और गुलाब का फूल बदलते रहें।



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