White discharge...सफेद पानी का आना


योनि स्राव के कारण, लक्षण और उपचार
योनि स्राव से जुड़े तथ्य

हम लड़कियां जब युवावस्था मे प्रवेश करती हैं तो हमारे सामने अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं। उन्हीं समस्याओं में योनि स्राव की समस्या भी एक है। इस अवस्था में उनके गुप्‍तागों से काफी मात्रा में तरल पदार्थ निकलता हैं जिसको लैक्टोबसीलस कहते हैं। योनि संक्रमण भी वैसी परिस्थितियों में हो सकता है जब वहां से दूसरे प्रकार का तरल पदार्थ या तो निकलने लगता है या उत्पन्न होने लगता है।



क्या है योनि स्राव
योनि स्राव सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है। दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके। अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा बनता है। यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है।
असमान्य योनि स्राव
कभी कभी योनि स्राव के समय योनि  से असामान्य योनि स्राव होने लगता है तथा योनी का रंग बदलने लगता है या उसमें भारीपन सा महसूस होता है , उससे निकलने वाले तरल पदार्थ का रंग और गंध दोनों बदल सकते हैं।
बीमारी का लक्षण
श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी न होकर किसी अन्य योनिगत गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है। सफेद पानी के साथ सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएं अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती छुपा लेती हैं जिससे कभी-कभी गर्भाशयगत कैंसर होने की भी संभावना रहती है।
योनि स्राव के लक्षण
योनि स्राव के दौरान योनि में खुजली, जलन, सफेद रंग का गाढा डिस्चार्ज, स्किन रैशेज,सूजन, बार-बार यूरिन आना और यूरिन डिस्चार्ज के समय दर्द जैसी समस्याएं होती हैं।
योनि स्राव के कारण
असामान्य योनिक स्राव के कई कारण हो सकते हैं जैसे यौन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण ,रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।
योनि स्राव का उपचार
जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है। यौन सम्बन्धों से होने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना चाहिए।
चिकित्सा
महिलाएं शुरुआत में इस समस्या पर ध्यान नहीं देती हैं जिससे कभी-कभी गर्भाशय कैंसर होने की भी संभावना रहती है। प्रारंभ में ध्यान देकर चिकित्सा की जाए तो निश्चित ठीक होता है किन्तु उपेक्षा करने पर, काफी देर से चिकित्सा करने पर गंभीर या असाध्य भी हो सकता है।
कैंसर का कारण हो सकता है
कैंसर का एक सर्व स्वीकृत कारण किसी भी अंग पर लंबे समय तक घर्षण होना है। अतः श्वेत प्रदर है तो एक सामान्य लक्षण है जिसकी ओर प्रारंभ में ध्यान देकर चिकित्सा की जाए तो निश्चित ठीक होता है किन्तु उपेक्षा करने पर, काफी देर से चिकित्सा करने पर गंभीर या असाध्य भी हो सकता है।
योनि स्राव के प्रभाव
श्वेतप्रदर के निरन्तर स्त्राव से महिलाएं धीरे -धीरे कमजोर महसूस करने लगती हैं। रोग उत्पत्ति के कारण अत्यधिक आलस्य भरी जीवन-यापन अर्थात शारीरिक श्रम कम करना, हर वक्त लेटे रहने की आदत पड़ जाती है।
योग
योनि स्राव से ग्रस्त महिलाएं अगर नियमित रुप से योगाभ्यास करें तो इस समस्या से निजात पा सकती हैं। इसे ना सिर्फ आप निरोग रहेंगी बल्कि आप खुद को तरोताजा और प्रसन्नचित्त भी महसूस करेंगी।
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी हमारी नही है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।
    विस्तार से पढ़े


श्वेत प्रदर
श्वेत प्रदर या सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हमेशा रोग का लक्षण नहीं होता।
अधिकतर महिलाएं इस गलतफ़हमी में होती है कि सफेद पानी के जाने से शरिर में कमजोरी आती है, चक्कर आता है, बदन में दर्द होता है। शरिर से तेजस्विता चली जाती है ऐसी भारत अौर पडोस के देश के कुछ प्रांतोमे गलत मान्यता पूर्वकाल से प्रचलित है। (culture bound dhat syndrome in females) 
सफेद पानी का निकलना दो प्रमुख कारणोंसे होता है।
         ●स्वाभाविक 
         ●बीमारी का लक्षण

1. स्वाभाविक

सफेद पानी निकलना प्राय: स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से कुछ मात्रा में होता है।
विशेषत: माहवारी (मासिक धर्म) के पूर्व, माहवारी के बाद, अण्डोत्सर्ग (Ovulation)के समय अौर कामेच्छा उद्दिप्त होने पर स्वाभाविक है।
इसके लिए कोइ उपचार कि आवश्यकता नहीं होती| 

2. बिमारी का लक्षण

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या "सफेद पानी आना" स्त्रिओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है।

 म हिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है।


श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

   अन्य लक्षण

योनि स्थल पर खुजली होना
कमर दर्द होना
चक्कर आना
कमजोरी बनी रहना


  बचाव एवं चिकित्सा

इसके लिये सबसे पहले जरूरी है 
  
       साफ-सफाई -

  योनि को धोने के लिये सर्वोत्तम उपाय फिटकरी के जल से धोना है; फिटकरी एक श्रेष्ठ जीवाणु नाशक सस्ती औषधि है, सर्वसुलभ है।

 बोरिक एसिड के घोल का भी प्रयोग करा जा सकता है और यदि अंदरूनी सफ़ाई के लिये पिचकारी से धोना (डूश लेना) हो तो आयुर्वेद की अत्यंत प्रभावकारी औषधि “नारायण तेल” का प्रयोग सर्वोत्तम होता है।


मैथून के पश्चात अवश्य ही साबुन से सफाई करना चाहिए।प्रत्येक बार मल-मूत्र त्याग के पश्चात अच्छी तरह से संपूर्ण अंग को साबुन से धोना।

बार-बार  गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है। अतः महिलाओं को अनचाहे गर्भ की स्थापना के प्रति सतर्क रहते हुए गर्भ निरोधक उपायों का प्रयोग (कंडोम, कापर टी, मुँह से खाने वाली गोलियाँ) अवश्य करना चाहिए।

 साथ ही एक या दो बच्चों के बाद अपना या अपने पति का नसबंदी आपरेशन कराना चाहिए।शर्म त्यागकर इसके बारे में अपने पति एवं डाक्टर को बाताना चाहिये।इस रोग की प्रमुख औषधियां अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं।

  योनि स्राव और उसके संकेत

योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं।

 सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। 

यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। 

इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। 

इस रोग के कारणों की जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेडी डॉक्टर से करा लेना चाहिए, ताकि उस कारण को दूर किया जा सके।

योनिक स्राव क्या होता है और कब उसे असामान्य कहा जाता है?

ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। 

योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है। दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके।

  अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है। यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है। लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है।

सफेद योनिक स्रावः मासिक चक्र के पहले और बाद में पतला और सफेद योनिक स्राव सामान्य है। सामान्यतः सफेद योनिक स्राव के साथ खुजलाहट या चुनमुनाहट नहीं होती है। 

यदि इसके साथ खुजली हो रही है तो यह खमीर संक्रमण (yeast infection) को प्रदर्शित करता है। साफ और फैला (Clear and stretchy) हुआः यह उर्वर (fertile) श्लेष्मा है। इसका आशय है कि आप अण्डोत्सर्ग के चक्र में हैं।

  साफ और पानी जैसाः यह स्राव महिलाओं में सामान्य तौर पर पूरे चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर होता रहता है। यह भारी तब हो जाता है जब व्यायाम या मेहनत का काम किया जाता है।

पीला या हराः यह स्राव सामान्य नहीं माना जाता है तथा बीमारी का लक्षण है। यह यह दर्शता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है। विशेषकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये। 

भूरा यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद देख ने को मिलता है। दरअसल यह “सफाई” की स्वाभाविक प्रक्रिया है। पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है।

रक्तिम धब्बे/भूरा स्राव: यह स्राव अण्डोत्सर्ग/मध्य मासिक के दौरान हो सकता है। कई बार बार शुरूआती गर्भावस्था के दौरान भी यह स्राव देखने को मिलता है। इस आधार पर कई बार इसे गर्भधारण का संकेत भी माना जाता है।

किन परिस्थितियों के कारण सामान्य योनिक स्राव में वृद्धि होती है?

सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित स्थितियों में वृद्ध हो सकती है- योनपरक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग (माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)

असामान्य योनिक स्राव के क्या कारण होते हैं?

असामान्य योनिक स्राव के ये कारण हो सकते हैं- 
(1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण 
(2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है
 या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।

असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?

योनिक स्राव से बचने के लिए –
(1) जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है।
(2) योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए।

बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को भरपूर भिगोने से वे साफ महसूस करेंगी वस्तुतः इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि वस्तुतः उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं।

(3) दबाव से बचें।

(4) योन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

(5) मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखना चाहिए।

असामान्य योनिक स्राव के लिए क्या डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?


हां, शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, जननेन्द्रिय का परीक्षण करेंगे और तदनुसार उपचार बतायेंगे।
    आशा है आपको आपके बहुत से सवालो के जवाब मिल गए होंगे और पोस्ट हेल्पफुल रहेगी।

    !!!धन्यवाद!!!

टिप्पणियाँ

  1. आपकी ये पोस्ट बहुत सुन्दर लिखी हुई है जिसके लिए में आपका शुक्रियादा करना चाहता हु और आशा करता हु ऐसे पोस्ट आप लिखे और बहुत सी जानकारिया भी दे।
    white Discharge

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