Vasant Panchami 2020: कब है बसंत पंचमी, जानिए सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Vasant Panchami 2020: कब है बसंत पंचमी, जानिए सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
Basant Panchami 2020
vasant panchami 2020 हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था जिसकी खुशी में बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि इस महीने में न तो ज्यादा सर्दी होती और न ही गर्मी। इस बसंत पंचमी का त्योहार 29 फरवरी को है। आइए जानते हैं बसंत पंचमी का महत्व और सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त...
बसंत पंचमी का महत्व (vasant panchami 2020 date and time)
- बसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है।
- बसंत पंचमी पर भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है।
- बसंत पंचमी के पर्व को ऋषि पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी आदि के नाम से भी जाना जाता है।
- बसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतयाः विद्यारंभ ,नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह-प्रवेश के लिए वसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयकर माना गया है।
- इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगाकर घरों को पीले रंग से सजाते हैं।
- बसंत पंचमी के ही दिन भगवान राम माता सीता की खोज में शबरी नामक भीलनी की कुटिया में पहुंचे थे। जहां पर शबरी ने प्रभु राम के प्रेम में खोकर भगवान राम को झूठे मीठे बैर खिलाए थे। यह स्थान गुजरात के डांग जिले में स्थित हैं। यहां के लोग आज भी उस शिला को बसंत पंचमी के दिन पूजते हैं जहां पर भगवान राम बैठे थे।
- बसंत पंचमी के ही दिन पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी के बीच एक महत्वपूर्ण प्रसंग घटित हुआ था। गोरी ने मृत्युदंड देने से पहले पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। इस अवसर का लाभ उठाकर कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया जो काफी प्रचलित है। कवि चंदबरदाई ने कविता के माध्यम से कहा था कि-
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
अर्थात् चार बांस, चौबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।
चंदबरदाई के संकेत को प्राप्त करते ही पृथ्वीराज चौहान ने बाण चला दिया जो सीधे जाकर गौरी के सीने लगा और उसकी मौत हो गई। यह घटना 1192 ईव को बसंत पंचमी के दिन घटी।
चंदबरदाई के संकेत को प्राप्त करते ही पृथ्वीराज चौहान ने बाण चला दिया जो सीधे जाकर गौरी के सीने लगा और उसकी मौत हो गई। यह घटना 1192 ईव को बसंत पंचमी के दिन घटी।
बसंत पंचमी Vasant Panchami Puja Shubh Muhurat 2020
सरस्वती पूजा मुहूर्त - 10:45 से 12:35 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ (29 जनवरी 2020) - 10:45 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त (30 जनवरी 2020) - 13:18 बजे तक
कैसे करें मां सरस्वती की पूजा
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।
सरस्वती पूजा मुहूर्त - 10:45 से 12:35 बजे तक
पंचमी तिथि का आरंभ (29 जनवरी 2020) - 10:45 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त (30 जनवरी 2020) - 13:18 बजे तक
क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी
कैसे करें मां सरस्वती की पूजा
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।
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