माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या भी कहते हैं।


माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योग पर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इस कारण भक्त जन एक मास तक कुटी बनाकर गंगा सेवन करते हैं। मौनी अमावस्या पर मौन रखकर प्रयागराज त्रिवेणी संगम में डुबकी अथवा काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। सनातन धर्म में विक्रम संवत के बाहर मासों में तीन माह यानी माघ, कार्तिक वैसाख पुण्य संचय के लिहाज से महापुनीत माने गए हैं।

मौनी अमावस्या के दिन व्रती लोगों को मौन धारण करना होता है। इसी के चलते इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा गया है। इस वर्ष मौनी अमावस्या का यह पर्व 24 जनवरी को है।
मौनी अमावस्या 2020 का शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya Shubh Muhurat):
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 24 जनवरी 2020, सुबह 2 बजकर 17 मिनट
अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जनवरी 2020, अगले दिन सुबह 3 बजकर 11 मिनट तक
मौनी अमावस्या का महत्व:
मौनी अमावस्या को शास्त्रों में बहुत ही विशेष माना गया है। इस दिन व्रती द्वारा दान-पुण्य का भी महत्व है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी बताया जाता है। जिसके चलते इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में लिखा है माघ मास के महीने में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग मिलता है। इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
मौनी अमावस्या के दिन ये चीजें दान करनी चाहिए:

मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, काले कपड़े, कंबल, जूते, गरम वस्त्र दान करने का विशेष महत्व है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी।
Mauni Amavasya 2020: कुंडली में भारी है शनि तो मौनी अमावस्या पर करें इन चीजों का दान

Mauni Amavasya 2020: मौनी अमावस्या इस साल 24 जनवरी को पड़ रही है। इस बार की मौनी अमावस्या कई मायनों में खास बताई जा रही है। दरअसल इस बार न्याय के देवता शनि 30 वर्षों के बाद मौनी अमावस्या के ही दिन मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। जिसकी वजह से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या पर व्यक्ति को दान , पुण्य और जाप करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की दशा चल रही है या उसका शनि भारी है तो मौनी अमावस्या के दिन किया गया इन चीजों का दान उसकी समस्या दूर कर सकता है।
पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्‍या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्‍नान स्‍नान करने आते हैं। कहा जाता है कि इस तरह देवताओं और पितरों का संगम होता है। यही वजह है कि इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन व्यक्ति को कई गुना फल देता है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए।
अमावस्या के ही शनिदेव ने लिया था जन्म-
इस साल 24 जनवरी को मौनी अमावस्या के ही दिन सुबह 9 बजकर 56 मिनट पर शनि राशि परिवर्तन करके अपनी राशि मकर में प्रवेश करने वाले हैं। ज्योतिषयों के अनुसार अमावस्या के ही दिन शनिदेव का भी जन्म हुआ था।
कुंडली में शनि को शांत करने के उपाय-
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि खराब स्थिति में है तो उसे सौम्य बनाने के लिए शनिवार के दिन सुबह-शाम सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि स्तोत्र का पाठ कम से कम 11 बार करें। मान्यता है कि महाराज दशरथ को शनि महाराज से वरदान मिला है कि जो इस स्तोत्र का पाठ करेगा उसे शनि नहीं सताएंगे।
शनि महाराज का वास मदिरा, मांस, झूठ, कपट, धोखा में होता है। गरीब और कमजोर लोगों में भी शनि का वास माना जाता है। यदि आप चाहते हैं कि शनि देव की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहे तो कभी भी खुद से कमजोर और गरीब व्यक्ति को सताना नहीं चाहिए। शनिवार के दिन मांस- मदिरा का सेवन करने से भी बचें। खाने के बाद एक लौंग चबाने की आदत डालें।
मौनी अमावस्या पर शनि से जुड़ी इन चीजों का करें दान-
यूं तो हर महीने की अमावस्या पर दान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। लेकिन इस साल 24
जनवरी को पड़ने वाली अमावस्या के दिन शनि राशि परिवर्तन करके अपनी राशि मकर में प्रवेश करने वाले हैं। जिसकी वजह से दान का महत्व कई गुना बढ़ गया है। इस दिन तिल, तेल, कंबल, कपड़े और धन का दान करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में शनि भारी है उनके लिए इन चीजों का दान करना और भी आवश्यक माना गया है।


Mauni Amavasya 2020 Puja Vidhi: मौनी अमावस्या को इस विधि से करें पूजा, जानें क्यों रखते हैं मौन व्रत

Mauni Amavasya 2020 Puja Vidhi: माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होता है। इस बार यह 24 जनवरी को है। इस दिन गंगा स्नान करने का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि इस समय गंगा का जल अमृत के समान होता है। गंगा स्नान के बाद दान पुण्य किया जाता है और भगवान विष्णु तथा पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। मौनी अमावस्या के दिन पूरे व्रत काल में मौन रहा जाता है।
मौनी अमावस्या: पूजा मुहूर्त
इस मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 24 जनवरी दिन शुक्रवार को तड़के 02:17 बजे से।
अमावस्या तिथि का समापन: 25 जनवरी दिन शनिवार को तड़के 03 बजकर 11 मिनट पर।
पूजा विधि
मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के बाद मौन व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा का पीले फूल, केसर, चंदन, घी का दीपक और प्रसाद के साथ पूजन करें।भगवान का ध्यान करने के बाद विष्णु चालीस या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर किसी ब्राह्मण को दान दक्षिणा देना चाहिए। मंदिर में दीप दान करके, सांयकाल धूप-दीप से आरती अवश्य करें। इसके पश्चात श्रीहरि विष्णु को पीले मीठे पकवान का भोग लगाएं। गाय को मीठी रोटी या हरा चारा खिलाने के बाद व्रत खोलें।
पीपल की पूजा
भगवान विष्णु की पूजा के दौरान पीपल के वृक्ष की भी पूजा करें और उसकी परिक्रमा करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का वास होता है। पीपल की पूजा से सौभाग्य की वृद्धि होती है तथा घर धन-धान्य से भर जाता है।

मौन रखने काथा महत्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करके व्रत समापन करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम में रखने का विधान बनाया गया है। इससे मनोबल बढ़ता है।
आमवस्या को हुआ था शनिदेव का जन्म
इस वर्ष की मौनी अमावस्या विशेष है। इस दिन सुबह 9 बजकर 56 मिनट पर शनि राशि परिवर्तन करके अपनी राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इसके साथ अमावस्या को शनिदेव का जन्म भी हुआ



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