जानें किस दिन है देवोत्थान एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि Devutthana Ekadashi 2019


जानें किस दिन है देवोत्थान एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि Devutthana Ekadashi 2019




👉कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi ) कहते हैं।

👉 इसी दिन भगवान विष्णु जी चार महीने के विश्राम के बाद जागते हैं। Devutthana Ekadashi : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रबोधनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi ) कहते हैंl

👉हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी होती है, उसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के शयन के लिए चले जाते हैं और इन चार महिनों के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।

👉 लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी चार महीने के विश्राम के बाद जागते हैंl

👉 इस वर्ष देवोत्थान एकादशी (देवउठनी एकादशी) Friday दिनांक 8 नवंबर, को है।

👉 इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।


👉 एकादाशी व्रत विधि- चार मास के लम्बे विश्राम के बाद भगवान विष्णु जी क्षीरसागर से अपने घर बैकुंठ पधारते हैं। भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए भक्ति में लीन होकर भजन एवं कीर्तन करते हैंl

👉इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें। घर के आंगन में जहां तुलसी जी विराजमान हैं वहां भगवान विष्णु जी के चरणों की आकृति बनाएंl

👉 भगवान विष्णु जी के भोग के लिए फल, फूल, मिठाई इत्यादि को एक थाली में रखें।

👉 सायंकाल को ही विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ कर, शंख बाजाकर भगवान विष्णु जी को भोग लगाएं। पूरी रात्रि में श्रद्धानुसार भगवान विष्णु जी के विभिन्न नामों का जप करें।

👉एकादाशी के पारण का बहुत महत्व है। इसीलिए इसी शुभ मुहूर्त में पारण करें। प्रबोधनी एकादशी को क्‍या ना करे

 1- प्रबोधनी एकादशी घर में चावल नहीं बनना चाहिए।

2- प्रबोधनी एकादशी के दिन घर का वतावरण सात्विक होना चाहिए।

3- प्रबोधनी एकादशी के दिन वृद्ध ,बालक तथा रोगी व्रत नहीं रखें।

 
4- प्रबोधनी एकादशी के दिन धूम्रपान या कोई भी नशा ना करें।

 5- प्रबोधनी एकादशी के दिन सत्य बोलने का प्रयास करें।

 👉तुलसी विवाह/शादी शुभ मुहूर्त  देवउठनी एकादशी के दिन सबसे पहले माता तुलसी की पूजा की जाती है और बड़े ही धूमधाम से देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।

👉देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह विष्णु जी के स्वरूप शालिग्राम से की जाती है। जिस व्यक्ति के घर किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ होता वह जीवन में कन्या दान का सुख तुलसी विवाह कराकर प्राप्त कर सकता है।

👉भगवान विष्णु जी को तुलसी जी अति प्रिये है इसलिए तुलसी जी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है, इसलिए देव जब उठते हैं तो हरिवल्लभा तुलसी की प्रार्थना ही सुनते हैं।

 
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