श्राद्ध को कनागत क्यों कहते हैं श्राद्ध कैसे करें


क्यों कहते हैं कनागत -अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है और सूर्य के कन्यागत होने से ही इन 16 दिनों को कनागत कहा जाता है।
श्राद्ध कैसे करें
कैसे करें श्राद्ध
पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकालें (इसमें भोजन की समस्त सामग्री में से कुछ अंश डालें)
फिर किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें। कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें। ऊं पितृदेवताभ्यो नम: पढ़ते रहें।
बाएं हाथ में जल का पात्र लें और दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की तरफ करते हुए उस पर जल डालते हुए तर्पण करते रहें।
वस्त्रादि जो भी आप चाहें पितरों के निमित निकाल कर दान कर सकते हैं।
यदि ये सब न कर सकें तो

दूरदराज में रहने वाले, सामग्री उपलब्ध नहीं होने, तर्पण की व्यवस्था नहीं हो पाने पर एक सरल उपाय के माध्यम से पितरों को तृप्त किया जा सकता है। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाइए। अपने दाएं हाथ के अंगूठे को पृथ्वी की ओर करिए। 11 बार पढ़ें..ऊं पितृदेवताभ्यो नम:। ऊं मातृ देवताभ्यो नम: ।
क्या न करें
तेल और साबुन का प्रयोग न करें ( जिस दिन श्राद्ध हो)
शेविंग न करें
जहां तक संभव हो, नए वस्त्र न पहनें
तामसिक भोजन न करें। तामसिक होने के कारण ही इनको निषिद्ध किया गया है।
यह भी ध्यान रखें
पुरुष का श्राद्ध पुरुष को, महिला का श्राद्ध महिला को दिया जाना चाहिए
यदि पंडित उपलब्ध नहीं हैं तो श्राद्ध भोजन मंदिर में या गरीब लोगों को दे सकते हैं
यदि कोई विषम परिस्थिति न हो तो श्राद्ध को नहीं छोड़ना चाहिए। हमारे पितृ अपनी मृत्यु तिथि को श्राद्ध की अपेक्षा करते हैं। इसलिए यथा संभव उस तिथि को श्राद्ध कर देना चाहिए।
यदि तिथि याद न हो और किन्हीं कारणों से नहीं कर सकें तो पितृ अमावस्य़ा को अवश्य श्राद्ध कर देना चाहिए।
पितरों की शांति के लिए यह भी करें
एक माला प्रतिदिन ऊं पितृ देवताभ्यो नम: की करें
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करते रहें
भगवद्गीता या भागवत का पाठ भी कर सकते हैं ।

पितृ दोष प्रबल हो तो यह भी करें उपाय
यदि कुंडली में प्रबल पितृ दोष हो तो पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए। तर्पण मात्र से ही हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं। वे हमारे घरों में आते हैं और हमको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यदि कुंडली में पितृ दोष हो तो इन सोलह दिनों में तीन बार एक उपाय करिए। सोलह बताशे लीजिए। उन पर दही रखिए और पीपल के वृक्ष पर रख आइये। इससे पितृ दोष में राहत मिलेगी। यह उपाय पितृ पक्ष में तीन बार करना है

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