मासिक शिवरात्री 11 सितंबर 2023

शिवतेरस (मासिक शिवरात्री)



हिंदू पंचांग के अंतर्गत प्रत्येक माह के तेरहवें दिन को संकृत भाषा में त्रियोदशी कहा जाता है। और प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल दो पक्ष होते हैं अतः त्रियोदशी एक माह में दो वार आती है। परंतु कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन आने वाली त्रियोदशी भगवान शिव की अति प्रिय है। भगवान शिव के प्रिय होने के कारण इस तिथि को शिव के साथ जोड़ कर साधारण भाषा में शिवतेरश कहा जाने लगा।


त्रयोदशी व्रत साल मे 12/13 बार आने वाला मासिक व्रत का त्यौहार है, अतः इस व्रत को मासिक शिवरात्रि भी कहा जाता है। जोकि अमावस्या से पहिले कृष्णपक्ष की त्रियोदशी के दिन आता है। मासिक शिवरात्रियों में से दो सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, फाल्गुन त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं।

यह लोकप्रिय हिंदू व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कोई भी व्रत या पूजा तभी उत्तम फल देती है जब उसे सही विधि से किया जाता है। तो आइए जानते हैं क्या है त्रयोदशी व्रत करने की सही विधि और अनुष्ठान

त्रयोदशी व्रत कब है? - Trayodashi Vrat Kab Hai?

भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी व्रत: बुधवार, 13 सितंबर 2023 [दिल्ली]

त्रयोदशी तिथि : 11 सितम्बर 2023, 11:52 PM - 13 सितम्बर 2023, 2:21 AM

त्रयोदशी व्रत की पूजा विधि क्या है?

❀ त्रयोदशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान करें और सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें।

❀ भगवन के सामने द्वीप प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प लिया जाता है ।

❀ पूरे दिन उपवास करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजा करनी चाहिए।

❀ यदि आप मंदिर नहीं जा सकते हैं तो पूजा स्थल या घर के साफ-सुथरे स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजा करनी चाहिए।

❀ शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।

❀ पूजा और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप करते रहें।


हर हर महादेव 🙏

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