कनागत में ध्यान रखने वाली बातें

पितृ पक्ष के इस माह को कनागत भी कहा जाता है। हिंदू संस्कृति में श्राद्धों का बहुत महत्व होता है। श्राद्ध हमारे पितरों (बुजुर्ग जो कि इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके हैं) को मोक्ष प्रदान करने के लिए मनाये जाते हैंं। श्राद्ध मुख्य रूप से 16 दिन के होते हैं लेकिन इस साल श्राद्ध 15 दिन तक रहेंगे। जिस तिथि को आपके घर के किसी सदस्य की मृत्यु होती है उसी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक चलते हैं। जिस वर्ष भाद्र पक्ष शुक्ल पूर्णिमा भी श्राद्ध में जोड़ दी जाती है उस वर्ष श्राद्ध 16 दिन के होते हैं।
पितृपक्ष में कुछ कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें करना शुभ नहीं माना जाता। शादी, विवाह या कोई भी शुभ अनुष्ठान श्राद्ध में नहीं किया जाता। चलिए जानते हैं कौन-कौन से काम हमे श्राद्धों में नहीं करने चाहिए।
1-: 
पितृपक्ष शोक व्यक्त करने का समय होता है इसीलिए पितृपक्ष में नए वस्त्र या नए आभूषणों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।
2- श्राद्ध  में अगर कोई अतिथि या याचक आपके दरवाजे पर आता है तो उसका आदर सत्कार श्रद्धा भाव से करना चाहिए तथा किसी याचक को दरवाजे से खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहिए। माना जाता है कि अतिथि आ याचक के रूप में आपके पितर आपसे श्राद्ध मांगने आ सकते हैं।
3-: 
श्राद्ध में नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए जैसे नई जमीन, नया घर या किसी बिजनेस का प्रारंभ नहीं करना चाहिए। नया घर ना लेने के कारण यह माना जाता है कि जिस घर में आपके पितरों की मृत्यु होती है वह श्राद्ध लेने उसी घर में आते हैं। हालांकि ऐसा सभी के लिए संभव नहीं हो पाता ऐसे में आप पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण कर दें जिससे आपके पितरों को नया घर खरीदने से कोई तकलीफ नहीं होगी।
4-: श्राद्ध में मुख्य रूप से भौतिक सुखों से दूर रहने के लिए कहा जाता है इसीलिए माना जाता है कि इस माह में वाहन आदि नहीं खरीदने चाहिए। यह केवल भारतीय संस्कृति के अनुसार मान्यता है किसी पर भी वाहन न खरीदने के लिए कोई दबाव नहीं है।
5-: 
माना जाता है कि पितृ पक्ष में पितरों को अर्पित किया गया भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। पितरों के लिए बनाए भोजन को कौआ, गाय, बिल्ली आदि को खिलाकर ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए।

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