Feeding a baby in fever...बुखार में स्तनपान

      क्या मा को बुखार आने पर बच्चे को दूध                        पिलाना चाहिए या नही


जन्म के बाद छह महीने तक नवजात शिशु केवल माँ के दूध पर ही निर्भर करता है। क्योंकि माँ का दूध की शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार होता है। और इससे शिशु के विकास के लिए सभी जरुरी पोषक तत्व भी मिलते हैं, साथ ही शिशु की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। जिससे उसे सभी बीमारियों से बचे रहने में मदद मिलती है। लेकिन यदि माँ को बुखार आ जाता है तो ऐसे में महिलाओं का एक सवाल होता है कि क्या माँ को बुखार होने पर ब्रैस्टफीड करवानी चाहिए या नहीं? इसका जवाब हाँ होता है, क्योंकि बुखार के दौरान भी दूध पिलाने से शिशु पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है।

क्योंकि यदि आप शिशु को दूध नहीं पिलाती है तो समस्या हो सकती है। लेकिन आपके दूध पिलाने से कोई समस्या नहीं होती है। क्योंकि माँ के दूध से बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे शिशु को किसी तरह के संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है। और दूध न पिलाने के कारण शिशु पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है साथ ही महिला को भी परेशानी का अनुभव करना पड़ सकता है। तो आइए अब विस्तार से बताते है की बुखार में दूध पिलाने में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, और क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

बुखार होने पर शिशु के लिए स्तनपान

 नवजात शिशु के लिए माँ के दूध को अमृत कहा जाता है। लेकिन यदि महिला को बुखार आ जाता है तो ऐसे में महिला को शिशु को दूध पिलाना बंद नहीं करना चाहिए। और न ही बुखार से बचने के लिए आप अपने आप ही किसी दवाई का सेवन करें। और यदि आप स्तनपान करवाना बंद करती है तो इसे शिशु के साथ महिला को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।


बुखार होने पर डॉक्टर से राय लें

 यदि स्तनपान करवाने वाली महिला को बुखार आ जाता है तो ऐसे में आपको तुरंत जाकर डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि ऐसा हो सकता है की यदि आप अपने आप दवाई खाती है तो इससे शायद शिशु को नुकसान
पहुंचें। लेकिन यदि आप अपने लिए डॉक्टर से चेक करवाने के बाद दवाई लेती है, तो डॉक्टर आपको जांच कर और ऐसी दवाई देता है जिसके कारण शिशु पर असर न पड़े।

ब्रैस्टफीड शिशु को न करवाने से होने वाली परेशानियां

यदि महिला बुखार होने के दौरान शिशु को स्तनपान करवाना बंद कर देती है। तो ऐसे में महिला के स्तन भरने लगते है, जिसके कारण उसमें दर्द के साथ सूजन की समस्या भी हो जाती है। और यदि बच्चा दूध नहीं पीता है

तो हो सकता है बाद में आपका दूध अच्छे से न उतर पाए। साथ ही जहां ब्रैस्टफीड करवाने से शिशु का संक्रमण से बचाव होता है वहीँ माँ का दूध न पीने के कारण शिशु को संक्रमण का खतरा हो जाता है। ऐसे में कम से कम छह महीने तक तो कभी शिशु को स्तनपान छुड़वाना ही नहीं चाहिए।

बुखार होने पर स्तनपान में बरतें यह सावधानियां

कई बार महिला को बुखार के साथ खांसी व जुखाम की समस्या भी हो जाती है, ऐसे में महिला को मास्क पहनना चाहिए। ताकि शिशु को संक्रमण से बचाने में मदद मिल सके।जब भी आपको बुखार जैसी समस्या होती है तो

महिला को अपनी साफ सफाई का अच्छे से ध्यान देना चाहिए।शिशु को बिना हाथ धोए नहीं छूना चाहिए, साथ ही हाथों की साफ सफाई के लिए टिश्यू या सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करना चाहिए।यदि महिला मास्क नहीं पहनती है तो खांसी या छींक आने पर मुँह पर रुमाल

जरूर ढक ले।माँ और बच्चे का रिश्ता बहुत प्यार होता है ऐसे में माँ अपने प्यार को जाहिर करने के लिए शिशु को चूमती रहती है, लेकिन यदि आपको बुखार या खांसी जुखाम की समस्या है तो शिशु को इस दौरान चूमने से बचना चाहिए। क्योंकि इसके कारण शिशु को भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।

तो यह हैं कुछ बातें जिनका ध्यान महिला को बुखार होने पर शिशु को स्तनपान करवाते समय रखना चाहिए। यदि महिला इन बातों का ध्यान रखती है तो नवजात शिशु और महिला दोनों को ही सुरक्षित रहने में मदद मिलती है।

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