बच्चा खाना नही खाता क्या करे
मैं अपनी बेटी के साथ उस चरण तक पहुंच चुकी हूँ, जहां वह हर उस चीज़ पर अपना पूरा नियंत्रण चाहती है, जो वह खाती है। अगर मैं उसे कुछ ऐसा खाने को देती हूँ, जो उसे पसंद नहीं है, ऐसे में, या तो वह चम्मच पकड़ लेती है और जितनी ताकत से उसे खुद से दूर कर सके, करने का प्रयास करती है या फिर अपना मुंह बंद कर लेती है और मुझे उसे कुछ खिला पाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इसके विपरीत, अगर मैं उसे खुद से खाने के लिए कटोरी एवं चम्मच देती हूं, तो वह खाने की बजाय भोजन को इधर-उधर फेकने और इससे खेलने लगती है। उसके ऐसा करने पर मुझे लगता है कि शायद उसे भूख ही नहीं है। पर, जब आपका बच्चा ऐसा रोज़-रोज़ करने लगे अर्थात जब आपको लगता है कि आपका बच्चा पेट भरकर भोजन नही खाता, तो ऐसी स्थिति में आपको बच्चे के इस व्यवहार का कारण जानना ज़रूरी हो जाता है। इस विषय में मैंने अपने स्तर पर कुछ शोध किया है। बच्चों के ऐसा करने के कई कारण हो सकते हैं और उन्हीं में से कुछ कारणों पर हम आज चर्चा करेंगे।
1अपना पंसदीदा भोजन ही खाने की आदतें
आपको माता-पिता के रूप में समझना होगा कि बच्चे भी हम बड़ों की तरह किसी ख़ास भोजन की ओर ज़्यादा आकर्षित रहते हैं अर्थात वही चीज़ खुश हो कर कहते हैं, जो उन्हें बेहद पसंद होती है। बहुत से बच्चे हर चीज़ को खाना पसंद नहीं करते और यह बहुत ही सामान्य है। ऐसे में, अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा हर चीज़ खाए, तो हर भोजन के साथ प्रयास करें अर्थात नए-नए तरीकों से बनाने की कोशिश करें।
उदाहरण के तौर पर, जब मैं
अपनी बेटी को उबली हुई सब्ज़ियां देती हूँ, तो वह इसे खाने में बहुत नखरे करती है। लेकिन अगर मैं इन्ही सब्जियों में घर में बनाई गई सफ़ेद पास्ता सॉस डाल देती हूँ, तो वह बार-बार इसकी मांग करती है। इसके साथ ही, मैं उसे अगर उबली हुई दाल में थोड़ा सा नमक डाल कर देती हूँ, तो वह इसे नहीं खाती। लेकिन अगर, उसे तड़के वाली दाल देती हूँ, तो वह इसे बहुत खुश होकर खाती है। ऐसे प्रयोगों से मैं समझ पाती हूँ कि उसे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं।
अपनी बेटी को उबली हुई सब्ज़ियां देती हूँ, तो वह इसे खाने में बहुत नखरे करती है। लेकिन अगर मैं इन्ही सब्जियों में घर में बनाई गई सफ़ेद पास्ता सॉस डाल देती हूँ, तो वह बार-बार इसकी मांग करती है। इसके साथ ही, मैं उसे अगर उबली हुई दाल में थोड़ा सा नमक डाल कर देती हूँ, तो वह इसे नहीं खाती। लेकिन अगर, उसे तड़के वाली दाल देती हूँ, तो वह इसे बहुत खुश होकर खाती है। ऐसे प्रयोगों से मैं समझ पाती हूँ कि उसे क्या अच्छा लगता है और क्या नहीं।
माता-पिता के रूप में, आपको तब तक प्रयास करते रहना होता है, जब तक आप अपने बच्चे की इस आदत को बदल नहीं लेते।
2ध्यान भटकाने वाली चीज़ें
बच्चे बहुत आसानी से विचलित हो जाते हैं अर्थात कोई छोटी सी हरकत भी उनका ध्यान भटका देती है। ऐसे में आपको चाहिए कि जब आपका बच्चा खाना खा रहा हो, तो उन सब चीज़ों को उससे दूर कर दे, जिनसे उसका ध्यान भटक सकता है। चाहे वह चीज़ उसका पसंदीदा खिलौना हो, आपका मोबाइल फ़ोन हो, या कुछ भी ऐसी चीज़ जिससे बच्चा खाते वक़्त खेलने लगता है, उन सब चीज़ों को (कम-से-कम खाने के वक्त) उसकी आँखों से जितना दूर हो सके, कर दें। आप खाना खिलाते समय जितनी ऐसी ध्यान भटकाने वाली चीज़े उसके समक्ष रखेंगे, आपका बच्चा उतना इन चीज़ों की ओर आकर्षित होगा और खाने पर ध्यान नहीं देगा।
जब भी
मेरे बेटे के भोजन का समय होता है, तो मैं उसे खेलने के कमरे से उठा कर दूसरे कमरे में ले जाती हूँ, उसे चटाई इत्यादि पर बिठा कर खाना खिलाती हूँ। यकीन मानिए मैंने यह महसूस किया है कि जब मेरी बेटी के आसपास कोई ऐसा खिलौना न हो, जिससे उसका ध्यान भटके, तो वह बहुत अच्छे एवं संतोषजनक तरीके से खाना खाती है।
मेरे बेटे के भोजन का समय होता है, तो मैं उसे खेलने के कमरे से उठा कर दूसरे कमरे में ले जाती हूँ, उसे चटाई इत्यादि पर बिठा कर खाना खिलाती हूँ। यकीन मानिए मैंने यह महसूस किया है कि जब मेरी बेटी के आसपास कोई ऐसा खिलौना न हो, जिससे उसका ध्यान भटके, तो वह बहुत अच्छे एवं संतोषजनक तरीके से खाना खाती है।
3व्यर्थ के स्नैक्स से पेट का भरा होना
एक और चीज़ जिसे हम मुख्य रूप से अनदेखी करते हैं, वह यह है कि भोजन के समय से पहले हल्के-फुल्के स्नैक्स (snacks) से बच्चे के पेट का
भरा होना। ये स्नैक्स (snacks) कुछ भी हो सकते हैं, जैसे कि चिप्स, घर पर बनाए गए पकोड़े, कुकीज़, यहाँ तक की फल भी। याद रखें स्नैक्स (snacks) देने का मुख्य मकसद शिशु का पेट भरना नहीं होता, बल्कि उसे अत्यधिक भूखा होने से बचाना होता है।
भरा होना। ये स्नैक्स (snacks) कुछ भी हो सकते हैं, जैसे कि चिप्स, घर पर बनाए गए पकोड़े, कुकीज़, यहाँ तक की फल भी। याद रखें स्नैक्स (snacks) देने का मुख्य मकसद शिशु का पेट भरना नहीं होता, बल्कि उसे अत्यधिक भूखा होने से बचाना होता है।
अगर आपका बच्चा पहले से ही इन स्नैक्स
(snacks) को भर-पेट खा चूका है, तो वह भोजन के समय कुछ और खाना नहीं चाहेगा या नहीं खा पाएगा। इसलिए अपने बच्चे को देने वाले स्नैक्स (snacks) की मात्रा पर नजर रखें। सिर्फ ठोस ही नहीं , अगर आप उसे खाने के समय से पहले दूध इत्यादि भी पीने को देते हैं, तो बहुत अधिक संभावना है कि वह खाने का विरोध करेगा।
(snacks) को भर-पेट खा चूका है, तो वह भोजन के समय कुछ और खाना नहीं चाहेगा या नहीं खा पाएगा। इसलिए अपने बच्चे को देने वाले स्नैक्स (snacks) की मात्रा पर नजर रखें। सिर्फ ठोस ही नहीं , अगर आप उसे खाने के समय से पहले दूध इत्यादि भी पीने को देते हैं, तो बहुत अधिक संभावना है कि वह खाने का विरोध करेगा।
4जबरदस्ती भोजन न खिलाएं
जैसा मैंने पहले कहा इस उम्र में आपका बच्चा खाने पर खुद का नियंत्रण चाहता है और वही खाता है, जो उसे पसंद होता है। इसका साधारण सा अर्थ यह होता है कि उसके
खाने की आदतें काफी हद तक उसके mood (मनोदशा) पर निर्भर करती हैं। ऐसे में बहुत से माँ-बाप अपने बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में, बच्चे या तो उसे खाने से इंकार कर देते हैं या फिर खाने के बाद उल्टी कर देते हैं।
खाने की आदतें काफी हद तक उसके mood (मनोदशा) पर निर्भर करती हैं। ऐसे में बहुत से माँ-बाप अपने बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में, बच्चे या तो उसे खाने से इंकार कर देते हैं या फिर खाने के बाद उल्टी कर देते हैं।
ऐसी परिस्थितियों में, आपको कभी कभी बच्चे की भी मान लेनी चाहिए।
यदि आपका बच्चा कभी-कभार नहीं खाना चाहता, तो उसे मजबूर न करें। जब उसे भूख लगेगी, तो वह स्वयं इसके लिए पूछेगा।
इसलिए, अगर कभी-कभी आपका बच्चा ठीक से भोजन नहीं खाता, तो ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं होती। लेकिन साथ ही, अगर आपका बच्चा अक्सर भोजन ठीक से नहीं खाता, तो डॉक्टर से सलाह लेने में देरी न करें क्योंकि अक्सर ऐसा करने के कुछ और कारण भी हो सकते हैं।
खाने में आनाकानी करता है बच्चा तो ऐसे करें डील
बच्चों को खाना खिलाना भी एक कला ही है, क्योंकि बच्चों को कभी कुछ पसंद आता है तो कभी कुछ नहीं पसंद आता है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चे खाने को लेकर बहुत आनाकानी करते हैं।
बच्चों को खाना खिलाना भी एक कला ही है, क्योंकि बच्चों को कभी कुछ पसंद आता है तो कभी कुछ नहीं पसंद आता है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चे खाने को लेकर बहुत आनाकानी करते हैं। ऐसे बच्चों को पिकी ईटर कहा जाता है। अक्सर देखा जाता है कि बच्चों में खास आदत होती है कि वह हर नई चीज को खाने से तबतक भागते हैं जबतक वह चीज उनके सामने कई बार न रखी जाए। अधिकतर बच्चों के साथ ऐसा होता है। इन बच्चों से डील करना माता-पिता के लिए जरूरी हो जाता है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी होता है ताकि आपके बच्चों को पौष्टिक तत्व मिलते रहें।
1- खाने का समय तय करेंबच्चों में आदत होती है कि वह दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाते रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को जरूरत होती है कि वह बच्चों के खाना खाने का समय निर्धारित करें। ऐसा करने से उन्हें सही समय पर भूख लगेगी और वह ढंग से खाना भी खाएंगे।
1- खाने का समय तय करेंबच्चों में आदत होती है कि वह दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाते रहते हैं। ऐसे में माता-पिता को जरूरत होती है कि वह बच्चों के खाना खाने का समय निर्धारित करें। ऐसा करने से उन्हें सही समय पर भूख लगेगी और वह ढंग से खाना भी खाएंगे।
2- स्वाद और सेहत दोनों पर जोर
बच्चों का खाना चुनते समय इस बात का खयाल जरूर रखें कि खाने में स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छा हो। जिससे कि बच्चे के शरीर को पौष्टिक तत्व मिलते रहें। बच्चों के खाने में आप व्हाइट जर्म, फलों के छोटे-छोटे टुकड़े, गाजर, पालक आदि शामिल कर सकते हैं। इससे उनका स्वाद भी बना रहेगा और उनकी शारीरिक जरूरत भी पूरी होगी।
बच्चों का खाना चुनते समय इस बात का खयाल जरूर रखें कि खाने में स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छा हो। जिससे कि बच्चे के शरीर को पौष्टिक तत्व मिलते रहें। बच्चों के खाने में आप व्हाइट जर्म, फलों के छोटे-छोटे टुकड़े, गाजर, पालक आदि शामिल कर सकते हैं। इससे उनका स्वाद भी बना रहेगा और उनकी शारीरिक जरूरत भी पूरी होगी।
3- दबाव ना डालें
माता-पिता के लिए यह समझना भी जरूरी होता है कि बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए उन पर खाने को लेकर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाएं। ऐसा करने से उनमें नकारात्मकता का भाव आ सकता है। ये भी जरूरी नहीं है कि एक ही तरह का खाना दो अलग-अलग बच्चों को पसंद हो।
माता-पिता के लिए यह समझना भी जरूरी होता है कि बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए उन पर खाने को लेकर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाएं। ऐसा करने से उनमें नकारात्मकता का भाव आ सकता है। ये भी जरूरी नहीं है कि एक ही तरह का खाना दो अलग-अलग बच्चों को पसंद हो।
4- खाने में बदलाव करते रहें
बच्चे एक जैसा खाना रोज खाकर ऊब जाते हैं इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें बदल-बदलकर खाना दें। आप जब भी बच्चों के खाने में बदलाव करें तो इस बात का ध्यान रखें कि खाना अच्छे स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छा हो।
बच्चे एक जैसा खाना रोज खाकर ऊब जाते हैं इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें बदल-बदलकर खाना दें। आप जब भी बच्चों के खाने में बदलाव करें तो इस बात का ध्यान रखें कि खाना अच्छे स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छा हो।
5- भूख लगने पर दे नया आहार
पिकी ईटर बच्चों के लिए माता-पिता के लिए सबसे अच्छी ट्रिक यह है कि जब भी बच्चों को ज्यादा भूख लगे तो उस समय उनको नया और हेल्दी खाना दें। बच्चों इस खाने को आराम से खा लेंगे क्योंकि उनके पास खाने का और कोई विकल्प नहीं होगा।
पिकी ईटर बच्चों के लिए माता-पिता के लिए सबसे अच्छी ट्रिक यह है कि जब भी बच्चों को ज्यादा भूख लगे तो उस समय उनको नया और हेल्दी खाना दें। बच्चों इस खाने को आराम से खा लेंगे क्योंकि उनके पास खाने का और कोई विकल्प नहीं होगा।
6- ज्यादा खाना एकसाथ न परोसें
माता-पिता को एक बात का हमेशा खयाल रखना चाहिए कि बच्चों को एक साथ ज्यादा खाना न परोसें। ऐसा करने से बच्चे खाने से दूर भागने लगते हैं। बच्चों को निर्धारित समय के अनुसार डॉयट के हिसाब से खाना दें।
माता-पिता को एक बात का हमेशा खयाल रखना चाहिए कि बच्चों को एक साथ ज्यादा खाना न परोसें। ऐसा करने से बच्चे खाने से दूर भागने लगते हैं। बच्चों को निर्धारित समय के अनुसार डॉयट के हिसाब से खाना दें।
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