करवा चौथ 2017

 

Hello everyone,
    सबसे पहले तो मैं ये बता देती हूँ कि करवा चौथ 8 october2017 sunday को हैं।





आज के इस post में करवा चौथ से related सारी जानकारी देने की कोशिश की है मैंने। वैसे ततो सभी इस festival के बारे में जानते ह but जिनकी new शादी हुई ह और अपनी family से दूर रहते हैं औऱ या फिर जो दूसरी संस्कृति के है और इस फेस्टिवल के बारे में जानना चाहते हैं तो यह post उनके लिए काफी helpfulरहने वाली हैं।
    इसमें मैं व्रत की कथा, विधि और भी बहुत सी जानकारी जो भी मुझे पता है वो सब आपके साथ शेयर करने वाली हु






    इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति की health,long life and मंगल की कामना करती हैं।

    इस व्रत में शिव पार्वती, श्री कार्तिकेय,श्री गणेश और चंद्रमा का पूजन किया जाता हैं।करवा चौथ माता का चित्र market में easily mil जाता हैं।

पूजन सामग्री:

       ***पूजा के लिए हमे एक फ़ोटो चाहिए होगी जो market में आसानी से मिल जाती हैं।
***एक मिट्टी का करवा चाहिए होता ह जिसमे जल भरते हैं।
***एक चीनी का करवा चाहिए होता हैं जिसमे अन्न भरते हैं।
***एक थाली में सिंदूर, महावर, दिया,, माला फूलो की,अगरबत्ती
***2-5या7 सिक 
***एक दूसरी प्लेट में एक साड़ी या ब्लाउज पीस उस पर सुहाग का सामान (बिंदी, चूड़ी, काजल, मेहंदी, बिछिये, सिंदूर etc) 
***भोग के लिए हलवा पूरी औऱ कोई भी sweet


पूजन विधि:

               सभी सुहागनें सोलह श्रंगार करके इस पूजा को करती हैं। सबसे पहले फ़ोटो को दीवार पर चिपका लेते ह और पानी के छींटे दे कर शुद्ध कर लेते हैं उसके बाद माला पहना देते हैं और सभी को तिलक लगा देते हैं और महावर भी फ़ोटो में।और दिया लगा देते हैं अगरबत्ती जला लेते हैं।औऱ फिर खुद भी महावर लगा लेते हैं।और कोरी चूड़ी पहन लेते हैं उसके बाद कथा सुनते ह।
                 कथा सुनने के बाद मिट्टी के करवे जिनमे की पानी भरा होता ह उन्हें7 बार सब आपस में एक दूसरे को देते हैं।औऱ last में भोग लगा और पानी के छींटे दे देते हैं।और फिर moon ji का wait करते हैं।
                  Moon के निकल आने पर उनकी पूजा रोली चावल से करके भोग लगा देते हैं औऱ मिट्टी के करवे से जल चढ़ा देते हैं उन सिको की help से और आरती उतार कर 7 बार परिक्रमा कर लेते हैं।
                   फिर finally अपने husband को तिलक कर देते हैं।उनके हाथों से पानी पी कर अपना व्रत पूरा कर लेते हैं और आर्शीवाद ले लेते हैं पैर छू कर, साथ ही घर के बड़ो के भी पैर छू लेते हैं।
               Last में जो भोग था औऱ सुहाग का सामान था उस पर अपनी श्रद्धानुसार पैसे रखकर अपनी सासू माँ को दे देते हैं।


   

करवा चौथ की कहानी

       एक गांव में एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी।सेठानी ने सातो बहुओ और बेटी सहित कार्तिक कृष्णा चौथ को करवा चौथ का व्रत किया।उस लड़की के भाई हमेशा अपनी बहिन के साथ भोजन करते थे।उस दिन भी भाइयो ने बहन को भोजन के लिए बोला।तब बहन बोली भैया आज मेरा करवा चौथ का व्रत हैं इसलिए चाँद उगेगा तब ही खाना खाऊँगी।भाइयो ने सोचा कि बहिन भूखी रहेगी इसलिए एक भाई ने दिया लिया और एक भाई ने चलनी लेकर पहाड़ी पर चढ़ गए।दिया जलाकर चलनी से ढक कर कहा कि बहन चाँद उग गया है।अरख दे ले और खाना खाले तब बहन ने भाभी यो से कहा कि चाँद देख लो।भाभी बोली कि ये तो चांद तुम्हारे लिए उगा हैं तुम्ही देख लो हमारा चांद तो रात में दिखेगा।बहन अकेली ही खाना खाने बैठी।पहले कोर में बाल आया दूसरा कोर खाने लगी तो ससुराल से बुलावा आ गया कि बेटा बहुत बीमार हैं सो बहु को जल्दी भेजो।
      माँ ने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए बक्सा खोला तीन बार ही कभी सफेद, कभी काला कभी नीले कपडे ही हाथ में आये।माँ ने एक सोने का सिक्का दिया और कहा रास्ते में सबके पैर छूती जाना और जो अमर सुहाग का आशीष दे उसको ये सिक्का दे देना पर पूरे रास्ते किसी ने ये आशीष नही दी।
    घर पहुची तो पति मरा पड़ा था।उसनें अपने पति को जलाने नही दिया और रूखा सूखा खा कर रहने लगी और कि थोड़े दिन बाद माघ की तिल चौथ आई।माता से बहुत विनती की की कि हे चौथ माता मेरा उजड़ा हुआ सुहाग आपको देना ही होगा मेरे पति को जिंदा करना ही होगा आपको।मुझे मेरी गलती का पश्चाताप हैं, मैं आपसे माफी मांगती हु।तब चौथ माता बोली मेरे से बड़ी बैसाख की बैसाखी चौथ आयेगी वो तुझे सुहाग देगी।बैसाख की आई तो उनने कहा भादवे की चौथ तुझे सुहाग देगी।तब कुछ महीने बाद भादुड़ी चौथ माता स्वर्ग से उतरी तो इस बार उसने चौथ माता के पांव पकड़ लिए।चौथ माता बोली कि तेरे ऊपर सबसे बड़ी कार्तिक की करवा चौथ माता है।वह ही नाराज हुई है, यदि तूने उसके पैर छोड़ दिये तो फिर कोई भी तेरे पति को जिंदा नही कर सकता हैं।कार्तिक का महीना आया, स्वर्ग से चौथ माता उतरी, चौथ माता आयी और गुस्से से बोली "भाइयो की बहन करवा लें, दिन में चाँद उगानी करवा लें, व्रत भांडनी करवा लें।" साहूकार की बेटी ने चौथ माता के पैर पकड़ लिए व विलाप करने लगी-हे!चौथ माता मैं नासमझ थी, मुझे इतना बड़ा दंड मत दो।आपको मेरी बिगड़ी बनानी होगी मुझे सुहाग देना ही पड़ेगा।क्योंकि आप सब जग की माता हैं और सबकी इच्छा पूरी करने वाली हैं।तब चौथ माता खुश हुई और उसे अमर सुहाग का आर्शीवाद दिया।इतने में उसका पति बैठा हो गया।
  तो ये थी चौथ माता की महिमा ।
        उन्होंने जैसा साहूकार की बेटी का सुहाग अमर किया वैसा सभी का करना।कहने सुनने वालों को सभी को अमर  सुहाग देना।
         तो बोलो मंगल करणी दुख हरणी चौथ माता की जय
   ये थी चौथ माता की कहानी आशा करती हूं सभी सुहागनों के लिए ये पोस्ट उपयोगी सबित होगा।
  !!  HAPPY kARWA CHOTH !!
   



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