त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव , prathana Lyrics with Arth
त्वमेव माता च पिता : tvamev mata cha pita lyrics
October 3, 2021 by शिवम्
त्वमेव माता च पिता
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।
इस श्लोक में एक भगवान के भक्त ने भगवान को अपने निजी रिश्तो और वस्तुओ के रूप में भगवान को देखा है इस लिए इस श्लोक का सही अर्थ है
हे भगवान आप ही मेरे माता पिता है आप ही मेरे रिश्तेदार मेरे मित्र है आप ही विद्या है आप ही द्रव्य धन है और अंत में कहा है की आप ही सब कुछ है तो अब कुछ और बाकि नहीं रहा है
ये जो इस श्लोक में कहा गया है ये बाते केवल नवधा भक्ति में ही आती है क्योंकि नवधा भक्ति में ही ये कहा गया है की ईश्वर पार्थवी के कण कण में है
सुई की नोक जितनी दुरी लेती है उतनी जगह भी नहीं है जहा ईश्वर नहीं हो इसी बात को में आपको एक कहानी के रूप में बताता हु जिस से आपको पता चलेगा की नवधा भक्ति किसे कहते है
जब संत सिरोमणि नाम देव एक बार खाना बना रहे थे तो एक कुत्ता आया और उसने रामदेव जहा रोटी पका के रख रहे थे
तो उसमे से कुत्ते ने आकर रोटी लेके भागने लगा नाम उसके पीछे भागे घी का पात्र लेके भागते भागते कहते रुको भगवान रोटी पर घी लगा देता हु
बिना घी की रोटी मत खाना ऐसा प्रेम देखकर जैसे भगवान प्रह्लाद भक्त के पुकारने पर खम्बे में से प्रकट हुए वैसे ही भगवान कुत्ते मेसे प्रकट हो गए क्योंकि नाम देव जी के पास नवधा भक्ति थी
वे प्रतेक वस्तु , इंसान , जानवर ,पशू सभी में भगवान को देखते थे
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