गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने कामदेव का पूजन करें 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन के बाद मौसम में बदलाव होना शुरु हो जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है। इसी कारण से बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कामदेव को प्रेम का देवता माना जाता है। अन्य मान्यता के अनुसार शिव रात्रि को भगवान शिव के विवाह से पहले इस दिन भगवान शंकर का तिलकोत्सव हुआ था। वसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु माना जाता है। मान्यताओं अनुसार कहा जाता है कि इस दिन के बाद मौसम में मादकता भर जाती है, जिसके कारण मनुष्य के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। इन्हीं कारणों के कारण कामदेव और उनकी पत्नी का पूजन विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। मनुष्य पर काम भाव हावी नहीं हो जाए इसलिए ही देवी सरस्वती मनुष्यों को ज्ञान और विवेक देने के लिए इस दिन प्रकट हुई थीं। पुराणों के अनुसार गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए बसंत पंचमी के दिन रति और कामदेव का पूजन किया जाता है। रति और कामदेव के चित्र पर सबसे पहले अबीर और फूल डाले। कामदेव के पूजन को सफल बनाने के लिए इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। शुभा रतिः प्रकर्तव्या वसंतोज्जवलभूषणा। नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।। वीणावादनशीला च मदकर्पूरचज्ञर्चिता। कामदेवस्तु कर्तव्यो रुपेणाप्रतिमो भुवि। अष्टबाहुः स कर्तव्यः शड्खपद्माविभूषणः।। चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः। रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्जवाला।। चतस्त्रस्तस्य कर्तव्याः पत्न्यो रुपमनोहराः। चत्वारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः। केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान। इसके बाद कामदेव और रति को विविध प्रकार के फल, फूल और पत्रादि समर्पित करें।

 गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने कामदेव का पूजन करें

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बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है।




 हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। बसंत पंचमी का पर्व वसंत ऋतु के आने के उपलक्ष्य के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन के बाद मौसम में बदलाव होना शुरु हो जाता है। मौसम के रुमानी होने के कारण बंसत और कामदेव की दोस्ती मानी जाती है। इसी कारण से बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति का पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार कामदेव को प्रेम का देवता माना जाता है। अन्य मान्यता के अनुसार शिव रात्रि को भगवान शिव के विवाह से पहले इस दिन भगवान शंकर का तिलकोत्सव हुआ था।

वसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु माना जाता है। मान्यताओं अनुसार कहा जाता है कि इस दिन के बाद मौसम में मादकता भर जाती है, जिसके कारण मनुष्य के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। इन्हीं कारणों के कारण कामदेव और उनकी पत्नी का पूजन विशेष विधि-विधान के साथ किया जाता है। मनुष्य पर काम भाव हावी नहीं हो जाए इसलिए ही देवी सरस्वती मनुष्यों को ज्ञान और विवेक देने के लिए इस दिन प्रकट हुई थीं। पुराणों के अनुसार गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए बसंत पंचमी के दिन रति और कामदेव का पूजन किया जाता है। रति और कामदेव के चित्र पर सबसे पहले अबीर और फूल डाले। 

कामदेव के पूजन को सफल बनाने के लिए इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।

शुभा रतिः प्रकर्तव्या वसंतोज्जवलभूषणा।

नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।।

वीणावादनशीला च मदकर्पूरचज्ञर्चिता।

कामदेवस्तु कर्तव्यो रुपेणाप्रतिमो भुवि।

अष्टबाहुः स कर्तव्यः शड्खपद्माविभूषणः।।

चापबाणकरश्चैव मदादञ्चितलोचनः।

रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति-स्तथोज्जवाला।।

चतस्त्रस्तस्य कर्तव्याः पत्न्यो रुपमनोहराः। चत्वारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः। केतुश्च मकरः कार्यः पञ्चबाणमुखो महान।

इसके बाद कामदेव और रति को विविध प्रकार के फल, फूल और पत्रादि समर्पित करें।

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